फ्लू के मरीज को कोल्ड हो जाना हम लोग बहुत सामान्य मानते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि जब फीवर या फ्लू उतरता है तो कुछ दिन तक कोल्ड का घेरे रहना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन स्कॉटलैंड में 9 साल तक चली एक स्टडी में सामने आया है कि यह बहुत कॉमन नहीं है और अगर किसी के साथ ऐसा होता है तो सेहत के लिहाज से यह ज्यादा दिक्कत भरी बात है।
शोध के आधार पर रिसर्चर्स का कहना है कि फ्लू का हो जाना अपने आपमें इस बात की तरफ इशारा करता है कि अब पेशंट को कॉमन कोल्ड वायरस के कारण इंफेक्शन डिवेलप नहीं होगा। स्टडी के लीड ऑर्थर और डॉक्टर पाब्लो मर्सिया के अनुसार, हमारे शोध में सामने आया है कि जिस सीजन में भी इंफ्लूएंजा की गिरफ्त में आने के ज्यादा चांसेज होते हैं, उस मौसम में कोल्ड होने के चांस कम होते हैं। इंफ्लूएंजा मौसम के कारण होनेवाली श्वासनली से संबंधित बीमारी है। इसमें बुखार, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, तेज थकान की समस्या होती है।
पाब्लो एमआरसी-सेंटर फॉर वायरस रिसर्च, ग्लासगो विश्वविद्यालय में सीनियर लेक्चरर हैं। ये इंफ्लूएंजा के बाद कोल्ड ना होने के पीछे की वजह राइनोवायरस को मानते हैं। राइनोवाइरस के कारण ही लोग कोल्ड की चपेट में आते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि हमने कोल्ड और फ्लू के वायरस पर अलग-अलग स्टडी की है, अब इन पर संयुक्त रूप से स्टडी करने की जरूरत है और इस दिशा में शोध किया जाएगा। क्योंकि यह सबकुछ इकोसिस्टम से जुड़ा है और हमें जानने की जरूरत है कि आखिर वायरस एक-दूसरे को कैसे इंटरेक्ट करते हैं।