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गंभीर हालात: दुनिया के 30 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 22 भारत के

 नई दिल्ली 
दिल्ली-एनसीआर में पिछले पांच वर्षों से प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है। इसे रोकने के उपाय भी नाकाम साबित हुए हैं। वर्ष 2015 के बाद से दीपावली के पहले और उसके बाद एक हफ्ते में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर औसतन गंभीर या बेहद गंभीर की श्रेणी में रहा है।दिल्ली सरकार ने दिल्ली में इस बार दीपावली पर पांच साल में सबसे कम प्रदूषण का दावा किया था, हालांकि आंकड़ों पर गौर करें तो यह प्रति घंटे या रोजाना औसत प्रदूषण के स्तर से हिसाब से ही सही है। ग्रीन पीस और एयर विजुअल की 2019 में आई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 22 भारत में हैं। दुनिया के 3000 शहरों में 64 फीसदी में वायु प्रदूषण का स्तर खराब है। वहीं, डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे प्रदूषित 15 शहरों में 14 भारत में हैं। इसमें दिल्ली, कानपुर, वाराणसी, धनबाद, लखनऊ, मुरादाबाद, पटना जैसे शहर शामिल हैं।
 
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015 में दिल्ली में दिवाली के आसपास वायु गुणवत्ता सूचकांक (पीएम 2.5 और पीएम 10 के साथ)  360 से 400 के आसपास रहा, जबकि 28 अक्तूबर को यह 368 था। इसके बाद से लगातार बढ़ते हुए औसत एक्यूआई 500-600 तक पहुंच गया। सीपीसीबी के मुताबिक, इस साल दिवाली के दिन दिल्ली में प्रदूषण का स्तर वर्ष 2016, 2017 और 2018 के मुकाबले क्रमश : 17.3%, 8.6% और 5.6 प्रतिशत कम रहा। लेकिन दीपावली के ठीक बाद प्रदूषण के स्तर में साल दर साल बढ़ोतरी हुई है। कई इलाकों में तो पिछले दो-तीन दिनों में यह प्रदूषण मापने के सर्वोच्च पैमाने एक्यूआई 999 के पार निकल गया है। शुक्रवार को भी आनंद विहार में एक्यूआई 908 के स्तर पर रहा।

संस्थाओं के अधिकारों को लेकर विरोधाभास
दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कई बड़ी संस्थाएं काम करती हैं, लेकिन अक्सर इनके कामकाज और क्षेत्राधिकार को लेकर असमंजस रहता है। इस कारण कई बार उपायों को अमलीजामा पहनाने में वक्त लगता है। इपका की ओर से नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में डीजल जेनरेटर प्रतिबंधित करने पर राज्यों की प्रदूषण नियंत्रण संस्थाओं का विरोध झेलना पड़ा। उनका कहना है कि डीजल जनित कुल 23 प्रतिशत प्रदूषण में सिर्फ दो फीसदी जनरेटरों से है।
 
कानूनों का अनुपालन बड़ी चुनौती: सीएसआईआर
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट से जुड़ीं अनुमिता रायचौधरी ने कहा कि कानून और प्लान तो तमाम बनाए गए हैं, लेकिन उनका अनुपालन सबसे बड़ी चुनौती है। राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई और जुर्माने के अधिकार हैं, लेकिन चेतावनी जारी करने के अलावा वे कुछ नहीं कर रहे हैं।

एनजीटी ने लगाई थी फटकार
1. एनजीटी ने प्रदूषण रोकने में नाकामी पर 21 जुलाई को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को सीपीसीबी के पास 25 करोड़ रुपये जुर्माना जमा करने को कहा था। गैरकानूनी औद्योगिक गतिविधियों पर लगाम लगा पाने पर यह जुर्माना लगाया गया था।

2. एनजीटी ने 9 अप्रैल को भी वायु प्रदूषण रोकने में लचर रुख को देखते हुए डीपीसीसी को फटकार लगाई थी। उसने डीपीसीसी के सारे अधिकार सीपीसीबी को देने की चेतावनी दी थी।

3. चौतरफा आलोचना के बाद दिल्ली सरकार ने कूड़ा-कचरा और निर्माण सामग्री न हटाने पर पीडब्ल्यूडी और अन्य एजेंसियों के अधिकारियों का अक्तूबर वेतन काटने की चेतावनी दी थी। यह दिल्ली में प्रदूषण की 13 सबसे बड़ी जगहों पर दो हफ्तों में लागू होने वाले एक्शन प्लान को लेकर था। हालांकि, डीपीसीसी ने कचरा फैलाने वाली एजेंसियों पर 12.5 करोड़ का जुर्माना लगाया है।

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