भोपाल
वित्त वर्ष समाप्ति के लिए अब सिर्फ 44 दिन का समय बचा है लेकिन प्रदेश की जनता द्वारा चुने गए 230 विधायकों को विकास कार्यों के लिए राशि स्वीकृत नहीं किए हैं। इन विधायकों ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 425 करोड़ रुपए में से सिर्फ 202 करोड़ रुपए ही विकास कार्यों के लिए मंजूर किए हैं। रही-सही कसर राज्य सरकार की खस्ताहाल वित्तीय हालत ने पूरी कर दी है। जिलों में विधायक निधि के लिए तीस करोड़ रुपए से अधिक का फंड ही सरकार ने जमा नहीं कराया है। इसलिए भी मंजूर किए गए कामों को शुरू नहीं किया जा सका है।
प्रदेश में एक विधायक को हर साल विधायक निधि में एक करोड़ 85 लाख रुपए विधायक निधि के रूप में खर्च करने के लिए मिलते हैं। इसके अलावा 15 लाख रुपए स्वेच्छानुदान के रूप में दिए जाते हैं जिसे विधायक अपने परिचितों, गरीबों की मदद या अन्य कार्यों में बांटते हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में अब तक जबकि साढ़े दस माह का समय बीत चुका है और अब 44 दिन ही चालू वर्ष के बाकी हैं तब भी विधायकों ने एमएलए निधि की राशि विकास कार्यों के लिए मंजूर करने में रुचि नहीं दिखाई है। इन विधायकों को अपने क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी की मूलभूत सुविधाओं के साथ ग्रामों, कस्बों में सामुदायिक भवन, स्कूल भवन, कालेज, मंगल भवन समेत अन्य सार्वजनिक प्रयोजन के विकास कार्यों के लिए विधायक निधि से राशि स्वीकृत करने का अधिकार है।
स्थिति यह है कि प्रदेश में अजा वर्ग के कुल 35, अजजा वर्ग के 47 तथा सामान्य वर्ग के 149 विधायक हैं। इनमें से एससी वर्ग के एमएलए को कुल 64.75 करोड़, सामान्य कैटेगरी के एमएलए के लिए 275.65 करोड़, एसटी विधायकों के लिए 86.95 करोड़ रुपए खर्च करने के लिए मिलते हैं। इसके विपरीत चालू साल में एससी वर्ग के विधायकों ने 37.34 करोड़, सामान्य कैटेगरी के एमएलए ने 117.58 करोड़ तथा एसटी कैटेगरी के विधायकों ने 47.95 करोड़ रुपए ही खर्च किए हैं।
वर्तमान वित्तीय वर्ष के 44 दिन का समय बाकी बचा है तो जिलों को तीसरी किस्त मिलना बाकी है। इस कारण भी विधायक निधि खर्च में दिक्कत हो रही है। सूत्रों के अनुसार शासन ने अब तक विधायक निधि के लिए चालू साल में एसटी विधायकों के लिए 98.29 करोड़, एससी विधायकों के लिए 72.64 करोड़ तथा सामान्य कैटेगरी के एमएलए के लिए 256.41 करोड़ रुपए का ही आवंटन किया है। इस आवंटित राशि में पिछले वित्त वर्ष लैप्स होने के बाद मिली राशि भी शामिल है।
विधायक निधि की राशि खर्च करने के लिए हर साल सरकार द्वारा जिलों को विधायकों की संख्या के हिसाब से एकमुश्त राशि का आवंटन किया जाता रहा है लेकिन खराब वित्तीय स्थिति का सामना कर रही राज्य सरकार ने इस बार दो टुकड़ों में किस्त वार राशि का आवंटन जिलों को किया है।