जयपुर
राजस्थान में कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल में तीन और नवजातों की मौत के साथ पिछले 36 घंटे तक मौतों की संख्या बढ़कर 110 पहुंच गई। नवजातों की मौतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए शिशु रोग विभाग के हेड अमृतलाल बैरवा को हटा दिया गया है। बैरवा के स्थान पर कोटा मेडिकल कॉलेज के डॉ. जगजीत सिंह को नया विभागाध्यक्ष बनाया गया है। उधर, बच्चों की मौत के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार दो हिस्सों में बंटी हुई नजर आ रही है। राजस्थान सरकार में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बयान कि अब पुरानी सरकारों को दोष देने से काम नहीं चलेगा। इस पर स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने पलटवार किया है।
महज दो साल पहले डेप्युटी सीएम सचिन पायलट ने अपनी राजनीतिक वर्चस्व वाली अजमेर लोकसभा सीट उस समय अपने करीबी रहे रघु शर्मा को सौंप दी थी। रघु शर्मा ने आननफानन सचिन पायलट के पैर छुए और उन्हें राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए धन्यवाद कहा। हालांकि, अब पायलट के बयान के बाद स्थितियां एकदम विपरीत हो चुकी हैं। रघु शर्मा ने सचिन पायलट के बयान को लेकर कहा है कि पीडब्ल्यूडी की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए क्योंकि पूरे राज्य में अस्पतालों के निर्माण कार्य में सुस्ती देखने को मिल रही है। बता दें कि सचिन पायलट के पास पीडब्ल्यूडी का कार्यभार है।
'…तो इनकी भी जिम्मेदारी तय हो'
शर्मा ने कहा, 'स्वास्थ्य विभाग के हमारे अधिकारियों ने लगातार पीडब्ल्यूडी के अफसरों को अस्पतालों की मरम्मत के लिए पत्र लिखा। अस्पतालों के निर्माण कार्य में देरी के लिए पीडब्ल्यूडी की भी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।'
हॉस्पिटल में 300 बेड की है जरूरत
कोटा के जेके लोन अस्पताल में फिलहाल एक बेड पर तीन बच्चों को देखना सामान्य बात है। पिछले 6 वर्षों में अस्पताल में एक लाख से ज्यादा बच्चों को लाया गया, यहां पर बच्चों और नवजातों के लिए 157 बेड हैं। अस्पताल के शिशु रोग विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोटा, बरन, बूंदी और झालावाड़ में बच्चों की संख्या के अनुसार तकरीबन 300 बेड की और आवश्यकता है। हालांकि, अस्पताल के एनआईसीयू और पीआईसीयू में 63 बेड हैं। सरकार ने नवजातों के लिए नौ बेड वाला आईसीयू बनाने की घोषणा की है। वहीं, अन्य पहलू पर गौर करें तो यह अस्पताल 40 हजार स्क्वायर मीटर क्षेत्र में बना हुआ है। इसमें जमीन का काफी हिस्सा खाली है, जहां पर निर्माण कार्य कराया जा सकता है।