इंदौर
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय 21 साल पहले इंदौर के मेयर निर्वाचित हुए थे. उसी समय उन्हें किसी महात्मा ने बता दिया कि शहर में पितृ दोष है, जिससे इंदौर का विकास रुका हुआ है. इसके निवारण के लिए पितृ पर्वत पर भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित कराने से ये दोष दूर हो जाएगा और तभी उन्होंने ये संकल्प ले लिया कि वे पितृ पर्वत पर हनुमान की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित कराएंगे और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगे.
दरअसल 21 साल पहले कैलाश विजयवर्गीय ने यह संकल्प लिया था कि वह इंदौर के पितृ पर्वत पर पितृवेश्वर हनुमान मंदिर की स्थापना के बाद ही अन्न ग्रहण करेंगे । अब पितृ पर्वत पर हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना हो चुकी है और शुक्रवार शाम को वृंदावन के महामंडलेश्वर गुरु शरणानंद इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय को अन्न ग्रहण कराएंगे ।
इन 21 सालों तक कैलाश विजयवर्गीय ने अन्न के रूप में गेहूं ,चावल, मक्का ,ज्वार, बाजरा, दालें छोड़ दी थी और वे केवल राजगीरा, साबूदाना, मोरधन, समा के चावल या फल ही खाया करते थे। उनके इस संकल्प को देखते हुए उनकी धर्मपत्नी आशा विजयवर्गीय ने उन्हें कई प्रकार के व्यंजन इन्हीं चीजों के बनाकर खिलाएं । कैलाश जी जब भी कहीं बाहर जाते थे तब भी उनके लिए उनके रिश्तेदार या मित्र यही भोजन तैयार रखते थे। राजनीति के व्यस्ततम समय में इस प्रकार का धार्मिक भाव रखकर उसे पूरा करना निश्चित रूप से एक बेहतरीन और अनुकरणीय कदम है।
प्रतिमा पर खर्च हुए 15 करोड़ रुपए
पितृ पर्वत पर प्रदेश की सबसे बड़ी यानी 72 फीट की अष्टधातु की हनुमान प्रतिमा विराजित की गई है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, कैडियम जैसे अष्ट धातु को उपयोग किया गया है. इस प्रतिमा पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. 108 टन वजनी इस प्रतिमा में 9 टन की गदा है जो 47 फीट लंबी है, वहीं 3 टन की उनकी छतरी है. इस छतरी पर 9 इंच आकार में 108 बार राम नाम गुदा हुआ है. हनुमान के हाथ में जो मंजीरे हैं, उनकी लंबाई 11 फीट है. भगवान राम की भक्ति में बैठे हनुमान की इस प्रतिमा के साथ 15×12 फीट की रामकथा भी तैयार की गई है. प्रतिमा के आसपास जर्मनी से दो करोड़ रुपए में लाईं गई लेजर लाइटें भी लगाई गई हैं जिनसे प्रतिमा के सीने पर हनुमान चालीसा का वर्णन चित्रमय दिखाई देता है.