भोपाल
किसानों को अपने राजस्व कार्यो के लिए अब पटवारियों, भू-अभिलेख कर्मचारियों व तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। बुधवार से राज्य शासन ने किसानों के लिए 21 जिलों में घर बैठे भू-अभिलेख प्राप्त करने की सुविधा शुरू कर दी है| इससे किसानों को अब घर बैठे भू-अभिलेख प्रतिलिपियाँ मिलने से उन्हें किसी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पडेंगे। राजस्व मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि किसानों को तकलीफों से बचाने के लिये यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के लिए वचन-बद्ध है।
सरकार ने शहडोल, सीधी, मंदसौर, रतलाम, देवास, धार, अनूपपुर, अशोकनगर, आगर-मालवा, श्योपुर, उमरिया, नीमच, निवाड़ी और कटनी में वेब जीआईएस साफ्टवेयर से भू-अभिलेख प्रतिलिपि प्रदाय करने का कार्य शुरू किया। इस सुविधा से अब किसानों को घर बैठे भू-अभिलेख प्रतिलिपियाँ मिल सकेगी जिससे उन्हें किसी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पडेंगे।
21 जिलों के लोक सेवा केन्द्रों पर 11 सितम्बर से डिजिटल हस्ताक्षरित भू-अभिलेख की प्रतिलिपियाँ ( बंधक,दर्ज खसरा, व्यपवर्तन प्रमाण पत्र ) मिलना शुरू हो गया है। आम जन प्रतिलिपियाँ प्राप्त करने के लिये ऑनलाईन आवेदन कर घर बैठे प्रतिलिपि प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को अब तहसील कार्यालय में आकर बंधक दर्ज कराने की जरूरत नहीं है। भू-अभिलेख प्रतिलिपि के लिये आवेदन नि:शुल्क रहेगा। राज्य शासन ने 1 अगस्त 2019 से प्रतिलिपि प्रदाय की दरों का सरलीकरण भी कर दिया है। अब एक साला और पाँच साला खसरा या खाता जमाबेंदी, अदिकार अभिलेख, खेवट, वाजिब-उल-अर्ज, निस्तार पत्रक और ए4 आकार में नक्शे की प्रति के पहले पृष्ठ के लिये 30-30 रूपये और अतिरिक्त पृष्ठ के लिये 15-15 रूपये का शुल्क देना होगा। संबंधित कलेक्टरों से कलेक्टर, तहसील और नकल वितरण केन्द्रों में संशोधित दर का भरपूर प्रचार-प्रसार करने को कहा गया है।
खसरे में बंधक दर्ज करने के लिये वेब-जीआईएस सॉफ्टवेयर में लॉग-इन सुविधा सभी बैंको को दे दी गई है। इससे भूमि-स्वामी को तहसील कार्यालय जाकर बंधक दर्ज कराने के लिये आवेदन देने की जरूरत नहीं रहेगी। नामांतरण, बंटवारा और बंधक के आदेश को खसरे में अमल कर भूमि-स्वामी को तत्काल प्रदाय किया जा सकेगा। कलेक्टरों को व्यपवर्तन और राजस्व भुगतान के प्रति भी लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिये गये है।