देश

कानपुर में बदले मौसम ने 10 और लोगों को निगला

कानपुर
मौसम बिगड़ते ही बीमारियों ने फिर पांव पसार लिए। बुधवार को 10 और लोगों की मौत हो गई। हैलट इमरजेंसी में छह ऐसे लोगों की जान गई जो लिवर, किडनी या सांस संबंधी दिक्कत से पीड़ित थे। कार्डियोलॉजी में बुधवार तड़के चार से दोपहर दो बजे तक चार लोगों ने दम तोड़ा।

दो दिन धूप से राहत मिली पर बुधवार को अचानक बारिश और ठंडी हवाओं ने हाल-बेहाल कर दिया। मरीजों की दिक्कतें बढ़ गईं। जो मरीज भर्ती या लम्बे समय से बीमार हैं उन्हें गंभीर खतरा बताया जा रहा है। ऐसे रोगियों को हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है। सरकारी के साथ साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी मौतें थम नहीं रही हैं। कार्डियोलॉजी की ओपीडी और इमरजेंसी में भीड़ से अफरातफरी की स्थिति है। रोजाना दो दर्जन के करीब हार्ट अटैक रोगी ओपीडी से इमरजेंसी में भेजे जा रहे हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि दरअसल डायबिटीज रोगियों को कार्डियक अटैक खामोशी से आता है इसलिए उन्हें दर्द या पसीना की शिकायत नहीं होती है। ईसीजी व अन्य जांचों में हार्ट अटैक का पता चल पाता है। हैलट में मरने वालों में इटावा के घनश्याम थे, उन्हें लिवर संबंधी बीमारी थी। किशोर कुमार निवासी नवाबगंज को गुर्दे की समस्या थी। विनोद कुमार चौरसिया को सांस की बीमारी के साथ हार्ट में समस्या थी। राम नारायण निवासी पटेल नगर को सांस की बीमारी थी, ब्रेन स्ट्रोक हो गया। कैलाश नारायण निवासी डेरापुर को भी लिवर व सांस की बीमारी थी। सुमित कुमार की एंजियोप्लास्टी हुई थी उन्हें अटैक पड़ गया। उधर, कार्डियोलॉजी में मरने वालों में दीक्षा रस्तोगी निवासी कर्नलगंज, मरियम खातून निवासी नई सड़क, बबर अली निवासी जूही और जगदीश कनौजिया निवासी तिर्वा शामिल हैं।

बाल रोग ओपीडी में 70 फीसदी बच्चे सांस रोगी
हैलट के बाल रोग ओपीडी में 70 फीसदी मरीज सांस संबंधी किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होकर आ रहे हैं। डॉ. राज तिलक के मुताबिक बच्चों की सांस की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। निमोनिया और फेफड़े की जटिल बीमारियों से पीड़ित बच्चे भी ओपीडी में आए। डॉ. के मुताबिक सांस सम्बंधी दिक्कतों को पहचानना जरूरी है। अगर बच्चे को तेज और  लगातार खासी आती रहे, पसली चलने लगे तो फौरन विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाएं। अपने मन से एंटीएलर्जिक और एंटीबायोटिक नहीं दें। उन मरीजों की संख्या अधिक मिल रही है जो पहले से ही बगैर डॉक्टरों की सलाह के केमिस्ट की दी हुई दवा बच्चों को खिलाकर लाते हैं। इससे बीमारी बिगड़ने का खतरा है।

मेडिसिन में सीओपीडी के मरीज भर्ती
चेस्ट अस्पताल के साथ हैलट के मेडिसिन विभाग में एक दर्जन मरीज सीओपीडी के भर्ती कराए गए हैं। हैलट के डॉक्टर जेएस कुशवाहा के मुताबिक सर्दी से बचाव ही बेहतर उपाय है। हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीज दवाओं में गैप नहीं करें।

>

About the author

info@jansamparklife.in

Leave a Comment