नई दिल्ली
भारतीय वायुसेना के बेड़े में 1985 में शामिल हुआ मिग-27 फाइटर जेट आज रिटायर हो जाएगा। 3 दशकों तक भारतीय वायुसेना को कई अहम अभियानों में मदद करने वाला मिग-27 आज आखिरी उड़ान भरेगा। जोधपुर एयरबेस से उड़ान के बाद आखिरी स्कॉड्रन के 7 लड़ाकू विमानों को विदाई दी जाएगी। आइए जानते हैं, कब और कैसे मिग-27 ने भारतीय वायुसेना को दी ताकत…
कम ऊंचाई पर तेज रफ्तार से करता है वार
1985 में भारत में ही असेंबल किए गए 165 मिग-27 विमानों को भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में शामिल किया था। इन्हें सबसे ज्यादा करगिल युद्ध में इस्तेमाल किया था। पाकिस्तान के साथ 1999 में हुई जंग में मिग-27 फाइटर जेट्स ने अहम भूमिका अदा की थी और पाक के कई दुस्साहसों को विफल किया था। पावरफुल R-29 इंजन की मदद से यह फाइटर कम ऊंचाई पर बहुत तेजी से उड़ान भर सकता है।
करगिल में पाक पर चुन-चुनकर बरसाए थे बम
रक्षा मंत्रालय ने मिग-27 को लेकर कहा, 'इन एयरक्राफ्ट्स ने युद्ध काल हो या फिर शांति का दौर भारत के लिए अहम भूमिका अदा की है। करगिल की ऐतिहासिक जंग में इनका अहम योगदान था। तब इन फाइटर जेट्स ने दुश्मन के ठिकानों पर चुन-चुनकर रॉकेट और बम बरसाए थे। इसके अलावा ऑपरेशन पराक्रम में भी मि-27 की अहम भूमिका थी।'
अब मिग-21 ने ली है मिग-27 की जगह
मिग-27 का पुराना वर्जन पहले ही सेवा से बाहर हो चुका है। फिलहाल 2006 में अपडेट किया गया मिग-27 का वर्जन एयरफोर्स में सेवाएं दे रहा है। इनके स्थान पर भारतीय सेना ने अब मिग-21 फाइटर जेट की सेवाएं लेना शुरू कर दिया है।
हादसों के चलते एयरफोर्स ने गंवाए 10% मिग-27
भले ही मिग-27 ने करगिल में अहम भूमिका अदा की हो, लेकिन बीते कुछ सालों में इन जेट्स को कई बार हादसों का शिकार होना पड़ा है। यहां तक कि मिग-27 को हादसों के लिए ही जाना जाने लगा था। पश्चिमी देशों में तैयार फाइटर जेट्स के मुकाबले इन्हें काफी असुरक्षित माना जाता था। भारतीय वायुसेना ने 10 फीसदी मिग-27 क्रैश में ही गंवाए हैं।