भोपाल
प्रदेश में महिला स्व-सहायता समूहों से पोषण आहार तैयार कराने की योजना को लेकर राज्य सरकार को महज 10 माह में अपना फैसला बदलना पड़ा। राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में सातों सरकारी पोषण आहार प्लांट एमपी एग्रो (मप्र एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड) को सौंपने का निर्णय लिया गया। प्लांटों में पदस्थ अमला और मशीनरी की जिम्मेदारी भी संस्था ही संभालेगी। एमपी एग्रो को जहां तक संभव हो, स्व-सहायता समूहों के सदस्यों को काम देना होगा। सरकार ने इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं, कंपनियों को फिलहाल पोषण आहार उत्पादन और सप्लाई से दूर रखा है। एमपी एग्रो इन्हें काम नहीं दे सकेगा। सरकार 97 हजार 135 आंगनवाड़ियों के लिए हर माह 12 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार खरीदती है। इसमें से करीब आठ हजार मीट्रिक टन पोषण आहार इसी माह से सरकारी प्लांट और एमपी एग्रो ने उपलब्ध करवाना शुरू किया है।
मध्य प्रदेश की पोषण आहार व्यवस्था लंबे समय से ठेकेदारों के हाथ में थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद राज्य सरकार को मजबूर होकर सात सरकारी प्लांट खोलने का निर्णय लेना पड़ा। ये प्लांट सितंबर 2018 में शुरू होने थे, लेकिन अब तक पांच प्लांट ही शुरू हो पाए हैं। दो प्लांटों में दिसंबर 2019 में उत्पादन शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
अभी प्रदेश की जरूरत का उत्पादन इन प्लांटों में शुरू भी नहीं हुआ कि महिला स्व-सहायता समूहों को उत्पादन से अलग कर दिया। सूत्र बताते हैं कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों ने सरकार को रिपोर्ट दी, जिसमें कहा गया कि तकनीकी ज्ञान न होने के कारण समूहों से पोषण आहार उत्पादन और प्लांट संचालित नहीं कराए जा सकते हैं।