ईसाइलंट स्ट्रोक के लक्षण नहीं देते दिखाई

स्ट्रोक आने पर उसके लक्षण व्यक्ति में दिखने लगते हैं जिसके बाद उसके तुरंत और सही इलाज में मदद मिलती है, लेकिन साइलंट स्ट्रोक के साथ ऐसा नहीं है। साइलंट स्ट्रोक आने पर व्यक्ति को इसके बारे में पता भी नहीं चलता और न ही इसके कोई बड़े शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं। इस वजह से साइलंट स्ट्रोक के बारे में तभी पता चल पाता है जब डॉक्टर इसके लक्षण को पकड़े या ब्रेन से जुड़े टेस्ट में इसके बारे में सामने आए।

खतरा
साइलंट स्ट्रोक दिमाग के छोटे हिस्से पर असर डालता है और वहां के सेल्स काम करना बंद कर देते हैं। प्रभावित हिस्सा भले ही छोटा हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह खतरनाक नहीं है। साइलंट स्ट्रोक के कारण याद्दाश्त पर बुरा असर होता है। इससे आगे चलकर बड़ा ब्रेन स्ट्रोक आने का खतरा भी बढ़ जाता है, जो जान ले सकता है। इससे चलने-फिरने में दिक्कत, पाचन क्रिया पर असर और इमोशनल इशू भी हो सकते हैं।

कारण
– ब्लड क्लॉट
– हाई ब्लड प्रेशर
– आर्टरीज का सिकुड़ना
– हाई कलेस्ट्रॉल
– डायबीटीज
– ड्रग्स का इस्तेमाल
– सिर में लगी चोट
– ब्रेन में ब्लीडिंग

 

लक्षण
साइलंट स्ट्रोक होने पर अगर ब्रेन CT स्कैन और MRI कराया जाए तो इमेज में दिमाग के एक हिस्से पर वाइट स्पॉट नजर आते हैं जो निष्क्रिय हुए सेल्स को दिखाता है। इससे डॉक्टर को पता चलता है कि व्यक्ति को साइलंट स्ट्रोक आया था। इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं जिन्हें आमतौर पर उम्र, कमजोरी या अन्य चीजों से जोड़कर देखा जाता है और कोई भी स्ट्रोक के बारे में नहीं सोचता। ये लक्षण हैं:

– बैलेंस बनाए रखने में दिक्कत
– बार-बार गिरना
– यूरिन लीक होना
– मूड में बदलाव आते रहना
– सोचने की क्षमता पर असर होना

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