अध्यात्म

ईश्वर ने जो दिया है, उसे सर्वश्रेष्ठ मानकर उसी में संतुष्ट रहना ही सबसे बड़ा धन

अच्छा जीवन जीना है तो अपनी सोच को अच्छा बनाइये, चीजों में कमियां मत निकालिये, बल्कि जो भगवान ने दिया है, उसका आनंद लीजिये और हमेशा दूसरों के प्रति सेवा भाव रखिये

पुराने समय की बात है, एक गांव में दो किसान रहते थे। दोनों ही बहुत गरीब थे, दोनों के पास थोड़ी-थोड़ी जमीन थी। दोनों उसमें ही मेहनत करके अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाते थे। अकस्मात कुछ समय बाद दोनों की एक ही दिन एक ही समय पर मृत्यु हो गयी। यमराज दोनों को एक साथ भगवान के पास ले गए। भगवान ने उन्हें देखकर उनसे पूछा, अब तुम्हे क्या चाहिये, तुम्हारे इस जीवन में क्या कमी थी, अब तुम्हें क्या बना के मैं पुन: संसार में भेजूं।

भगवान की बात सुनकर उनमें से एक किसान बड़े गुस्से से बोला, हे भगवान, आपने इस जन्म में मुझे बहुत घटिया जिन्दगी दी थी। आपने कुछ भी नहीं दिया था मुझे। पूरी जिन्दगी मैंने बैल की तरह खेतो में काम किया है, जो कुछ भी कमाया वह बस पेट भरने में लगा दिया। ना ही मैं कभी अच्छे कपड़े पहन पाया और ना ही कभी अपने परिवार को अच्छा खाना खिला पाया। जो भी पैसे कमाता था, कोई आकर के मुझसे लेकर चला जाता था और मेरे हाथ में कुछ भी नहीं आया। देखो कैसी जानवरों जैसी जिन्दगी जी है मैंने।

उसकी बात सुनकर भगवान कुछ समय मौन रहे और पुन: उस किसान से पूछा, तो अब क्या चाहते हो तुम, इस जन्म में मैं तुम्हे क्या बनाऊं । भगवान का प्रश्न सुनकर वह किसान पुन: बोला, भगवन आप कुछ ऐसा कर दीजिये कि मुझे कभी किसी को कुछ भी देना ना पड़े। मुझे तो केवल चारो तरफ से पैसा ही पैसा मिले।

अपनी बात कहकर वह किसान चुप हो गया। भगवान ने उसकी बात सुनी और कहा, तथास्तु, तुम अब जा सकते हो मैं तुम्हे ऐसा ही जीवन दूंगा जैसा तुमने मुझसे मांगा है। उसके जाने पर भगवान ने पुन: दूसरे किसान से पूछा, तुम बताओ तुम्हे क्या बनना है, तुम्हारे जीवन में क्या कमी थी, तुम क्या चाहते हो।

उस किसान ने भगवान के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा- हे भगवन, आपने मुझे सबकुछ दिया, मैं आपसे क्या मागंू। आपने मुझे एक अच्छा परिवार दिया, मुझे कुछ जमीन दी, जिस पर मेहनत से काम करके मैंने अपने परिवार को एक अच्छा जीवन दिया। खाने के लिए आपने मुझे और मेरे परिवार को भरपेट खाना दिया। मैं और मेरा परिवार कभी भूखे पेट नहीं सोया।

बस एक ही कमी थी मेरे जीवन में, जिसका मुझे अपनी पूरी जिन्दगी अफसोस रहा और आज भी है। मेरे दरवाजे पर कभी कुछ भूखे और प्यासे लोग आते थे भोजन मांगने के लिए, परन्तु कभी-कभी मैं भोजन न होने के कारण उन्हें खाना नहीं दे पाता था और वो मेरे द्वार से भूखे ही लौट जाते थे, ऐसा कहकर वह चुप हो गया।

भगवान ने उसकी बात सुनकर उससे पूछा, तो अब क्या चाहते हो तुम, इस जन्म में मैं तुम्हें क्या बनाऊं। किसान भगवान से हाथ जोड़ते हुए विनती की, हे प्रभु आप कुछ ऐसा कर दो कि मेरे द्वार से कभी कोई भूखा प्यासा ना जाये। भगवान ने कहा, तथास्तु, तुम जाओ तुम्हारे द्वार से कभी कोई भूखा प्यासा नहीं जाएगा।

अब दोनों का पुन: उसी गांव में एक साथ जन्म हुआ। दोनों बड़े हुए। पहला व्यक्ति जिसने भगवान से कहा था, कि उसे चारो तरफ से केवल धन मिले और मुझे कभी किसी को कुछ देना ना पड़े, वह व्यक्ति उस गांव का सबसे बड़ा भिखारी बना। अब उसे किसी को कुछ देना नहीं पड़ता था, जो कोई भी आता उसकी झोली में पैसे डालके ही जाता था। और दूसरा व्यक्ति जिसने भगवान से कहा था कि उसे कुछ नहीं चाहिए, केवल इतना हो जाये की उसके द्वार से कभी कोई भूखा प्यासा ना जाये, वह उस गांव का सबसे अमीर आदमी बना। उसके यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता था।

यह कहानी कहती है कि ईश्वर ने जो दिया है उसी में संतुष्ट होना बहुत जरूरी है। अक्सर देखा जाता है कि सभी लोगों को हमेशा दूसरे की चीजें ज्यादा पसंद आती हैं और इसके चक्कर में वो अपना जीवन भी अच्छे से नहीं जी पाते। हर बात के दो पहलू होते हैं, सकारात्मक और नकारात्मक। अब ये आपकी सोच पर निर्भर करता है कि आप चीजों को नकारत्मक रूप से देखते हैं या सकारात्मक रूप से। अच्छा जीवन जीना है तो अपनी सोच को अच्छा बनाइये, चीजों में कमियां मत निकालिये, बल्कि जो भगवान ने दिया है, उसका आनंद लीजिये और हमेशा दूसरों के प्रति सेवा भाव रखिये।

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