नई दिल्ली
निर्भया गैंगरेप और मर्डर के दोषियों की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील और जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता इंदिरा जयसिंह के बयान पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी ने भी इंदिरा जयसिंह के बयान से असहमति जताई है. उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते कहा, 'मैं बिल्कुल सहमत नहीं (इंदिरा जयसिंह के बयान) हूं. हमारे देश में पांच हजार साल पहले नारियों के अपमान के लिए मृत्युदंड की व्यवस्था हुई थी.' दूसरी तरफ, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्भया मामले में ट्वीट कर नाबालिग दोषी के छूटने पर आपत्ति जताई है.
इंदिरा जयसिंह के बयान पर असहमति जताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी ने द्रौपदी का उल्लेख किया. उन्होंने कहा, 'द्रौपदी के अपमान के लिए भीम ने कीचक को मारा था. द्रौपदी के अपमान के लिए ही पांडवों ने कौरवों का नाश किया था. सीता माता का अपमान का प्रतिकार भगवान राम ने रावण का वध करके किया. नरेंद्र मोदी ने इसी परंपरा के तहत 12 साल से कम उम्र की लड़कियों का अपमान होने पर मृत्युदंड की व्यवस्था की है. कई कथित देशभक्त ने इसका विरोध किया, लेकिन हमारी परंपरा में यह है. उसको (निर्भया के दोषियों) माफी देने की कोई आवश्यकता नहीं है. यह हमारा व्यक्तिगत मत है.'
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने निर्भया की मां आशा देवी से दोषियों को माफ करने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि जिस तरह सोनिया गांधी ने राजीव गांधी के हत्यारों को माफ कर दिया, उसी तरह निर्भया की मां को भी दोषियों को माफ कर देना चाहिए. इस पर निर्भया की मां आशा देवी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पूरा देश चाहता है कि निर्भया के दोषियों को फांसी दी जाए. ऐसे में इंदिरा जयसिंह ऐसा सलाह देने वाली कौन होती हैं? आशा देवी ने कहा कि इंदिरा जयसिंह औरत होकर भी स्त्री का दर्द नहीं समझ पा रही हैं.