रायपुर
महासमुंद में आदिवासियों की भूमि हक की जमीन फर्जी अनुमति से क्रय-विक्रय करने के 85 प्रकरण सामने आए हैं। जिनमें से 81 प्रकरणों में फर्जी अनुमति से क्रय-विक्रय करना पाया गया। यह जानकारी राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
कांग्रेस विधायक विनोद चंद्राकर ने जानना चाहा कि महासमुंद में वर्ष-2005 से वर्ष 2009-10 तक आदिवासियों की भू-स्वामी हक की जमीन फर्जी अनुमति से क्रय-विक्रय करने के कितने प्रकरणों की जांच की गई? इसके जवाब में राजस्व मंत्री ने बताया कि महासमुंद जिले में वर्ष 2005 से वर्ष-2009-10 तक आदिवासियों की भूमि हक की जमीन फर्जी अनुमति से क्रय-विक्रय करने के 85 प्रकरणों की जांच की गई है। उन्होंने बताया कि इनमें से 81 प्रकरण फर्जी अनुमति से क्रय-विक्रय करना पाया गया। जांच करने के बाद सभी प्रकरणों को आदिवासी विक्रेता के नाम पर पूवर्वत दर्ज कर दिया गया है। चार प्रकरण जांच के बाद आदेश के लिए नियत है। श्री अग्रवाल ने कहा कि फर्जी अनुमति से पाए गए 81 प्रकरणों में नामांतरण निरस्त कर पुन: आदिवासी विक्रेता के नाम दर्ज कर तहसीलदारों के जरिए आदिवासी विक्रेता को कब्जा दिलवाया गया। राजस्व मंत्री ने बताया कि फर्जी अनुमति के प्रकरणों में स्व. भगत राम रात्रे के खिलाफ धारा-419, 420, 467, 471, 120, 41 आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया।
कांग्रेस सदस्य श्रीमती छन्नी साहू के एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में राजस्व मंत्री ने बताया कि प्रदेश में आदिवासी जमीन को गैर आदिवासियों को विक्रय करने के संबंध में छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 (6) के तहत कार्रवाई की जा रही है। राजनांदगांव जिले में 1 जनवरी 2017 से 30 सिंतबर 2019 तक कुल 70 आदिवासी व्यक्तियों को जमीन का विक्रय करने की अनुमति प्रदान की गई है।