आईवीएफ जादू की छड़ी नहीं है, जानें इसकी प्रोसेस

जब कोई कपल नैचरल तरीके से गर्भधारण करने या प्रेग्नेंट होने में असफल रहता है तो उनके दिमाग में सबसे पहले जो बात आती है वो है IVF तकनीक का इस्तेमाल कर बच्चा पैदा करना। अक्षय कुमार और करीना की फिल्म 'गुड न्यूज' में भी आईवीएफ का जिक्र बार-बार आया है और आईवीएफ से जुड़े एक बेहद अहम खतरे के बारे में भी बताया गया है। लेकिन मजाक अपनी जगह पर है। आईवीएफ भले ही आपको अपना बच्चा हासिल करने के सपने के करीब ले जाने वाला प्रोसेस हो लेकिन इस विकल्प को चुनने से पहले आपको इससे जुड़े prosऔर cons यानी पक्ष-विपक्ष दोनों के बारे में जान लेना चाहिए…

ऐसा नहीं है कि आज आप आईवीएफ करवाने गईं और अगले दिन आप कंसीव कर लेंगी। ये एक लंबा प्रोसेस है और इसमें कई बार डॉक्टर के चक्कर लगाने पड़ते हैं। अगर आप आईवीएफ के विकल्प को चुन रहे हैं तो आपको धैर्य रखने की जरूरत है। शुरुआती 15 दिनों में दवाइयां दी जाती हैं ताकि ओवरीज मल्टीपल एग्स प्रड्यूस करने लगे। इस दौरान आपको हर दिन ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। स्टिमुलेशन प्रोसेस के बाद डॉक्टर महिला के शरीर से एग्स निकालकर पुरुष के स्पर्म के साथ उसे लैब में इन्फ्यूज करते हैं। 5 दिन के बाद तैयार भ्रूण को यूट्रस में डाला जाता है। 2 हफ्ते बाद इस बात की जांच होती है कि आईवीएफ सफल रहा या नहीं।

​IVF से पहले ही करवा लें अपना हेल्थ चेकअप
अगर आप चाहते हैं कि आपका ये आईवीएफ प्रोसेस पूरी तरह से सफल रहे उसमें किसी भी तरह की रुकावट न आए तो बेहद जरूरी है कि आपका वजन हेल्दी हो, ऐल्कॉहॉल और तंबाकू का सेवन ना करें, जंक फूड से पूरी तरह से दूर रहें, हेल्दी डायट का सेवन करें। इन सबके अलावा हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए बेहद जरूरी है कि आप आईवीएफ से पहले ही अपना मेडिकल टेस्ट करवा लें और अगर हाई बीपी और डायबीटीज जैसी कोई दिक्कत हो तो दवाइयां लेकर इन सभी समस्याओं को कंट्रोल में रखें।

​IVF के कई साइड इफेक्ट्स भी हैं
कई दूसरे मेडिकल ट्रीटमेंट की ही तरह आईवीएफ के भी कई साइड इफेक्ट्स हैं। इस प्रोसेस को करवाने के दौरान चूंकि शरीर में बहुत सारे हॉर्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं लिहाजा आप भी इस पूरे आईवीएफ साइकल के दौरान आपको भी काफी इमोशनल बदलावों से गुजरना होगा। इसके अलावा आपको खुद पर काफी प्रेशर महसूस होगा, पेल्विक एरिया में क्रैम्पिंग हो सकती है, ब्रेस्ट में दर्द या नरमी हो सकती है। कई बार आईवीएफ की वजह से जब ओवरीज ज्यादा एग्स बनाने लगती है तो इस वजह से वजन बढ़ना, पेट में सूजन होना, चक्कर आना, उल्टी आना जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।

प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन का भी थोड़ा रिस्क होता है
IVF से जिन बच्चों का जन्म होता है उनमें जन्मजात दोष होने का भी थोड़ा बहुत रिस्क रहता है। इसके अलावा डॉक्टर्स आईवीएफ को सफल बनाने के इरादे से आमतौर पर यूट्रस में 1 से ज्यादा भ्रूण को इम्प्लांट करते हैं जिससे जुड़वां या अधिक बच्चे होने का खतरा भी रहता है। साथ ही आईवीएफ से प्रेग्नेंट होने पर प्रीमच्योर लेबर, समय से पहले डिलिवरी और जन्म के वक्त बच्चे का वजन कम होने का खतरा भी रहता है।

​IVF प्रेग्नेंसी की 100 फीसदी गारंटी नहीं है
दुर्भाग्यवश कई बार इतनी महंगी तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद भी कुछ महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं हो पाती हैं। लिहाजा आपको इस बात के लिए पहले से तैयार रहना होगा कि आईवीएफ प्रेग्नेंसी की 100 फीसदी गारंटी नहीं है। कुछ महिलाएं जहां आईवीएफ की पहली ही कोशिश में प्रेग्नेंट हो जाती हैं वहीं कई महिलाएं बार-बार कोशिश करने के बाद भी प्रेग्नेंट नहीं हो पातीं। इस टेक्नीक की सफलता आपकी उम्र पर भी निर्भर करती है।

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