नई दिल्ली
10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा के बाद सरकार ने बैंकिंग सेक्टर से जुड़े एक और अहम फैसले के तहत एलआईसी के साथ मिलकर आईडीबीआई बैंक को 9000 करोड़ रुपये की पूंजी देने की घोषणा की है। मंगलवार को मोदी कैबिनेट ने इस फैसले पर मुहर लगाई। सरकार के इस कदम से भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के स्वामित्व वाले बैंक की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी।
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि आईडीबीआई बैंक के रीकैपिटलाइजेशन (पुन: पूंजीकरण) को मंजूरी दे दी गई है। इसमें एक बार में सरकार और एलआईसी दोनों पैसा डालेंगे। इससे आईडीबीआई और एलआईसी, दोनों को फायदा होगा और इससे बैंकिंग को बेहतर स्तर तक पहुंचाने की सरकार की प्रतिबद्धता भी सामने आएगी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 9 हजार करोड़ रुपये में से 4,557 करोड़ रुपये सरकार देगी, जबिक 4,700 करोड़ रुपये एलआईसी की ओर से दिए जाएंगे।
गौरतलब है कि एलआईसी ने संकट में फंसे आईडीबीआई बैंक में नियंत्रणकारी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण इसी साल जनवरी में पूरा किया था। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आईडीबीआई बैंक को निजी क्षेत्र के बैंक की श्रेणी में रख दिया। आईडीबीआई बैंक को आरबीआई के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई रूपरेखा के अंतर्गत रखा गया था। यह कंपनियों को दिए जाने वाले कर्ज और शाखा विस्तार, वेतन वृद्धि व अन्य नियमित गतिविधियों पर रोक लगाता है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले शुक्रवार को 10 सरकारी बैंकों के महाविलय प्लान की घोषणा की, जिसके बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या मौजूदा 27 से घटकर 12 रह जाएगी। बैंकों के विलय का असर हर उस शख्स पर पड़ सकता है, जिसका इन बैंकों में खाता है। 6 छोटे सरकारी बैंकों का भारतीय स्टेट बैंक में और विजया बैंक, देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में पहले ही विलय हो चुका है। इस तरह, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा विलय के बाद 10 सरकारी बैंकों में पहले ही शीर्ष दो बड़े बैंकों में तब्दील हो चुके हैं।