मध्य प्रदेश

आइपीएस अधिकारी अब गीता के ज्ञान को समाज में बाटेंगे

ग्वालियर
 25 साल की पुलिस की नौकरी में मिले अनुभवों के बाद प्रदेश का एक आइपीएस अधिकारी अब गीता के ज्ञान को समाज में बांटने जा रहा है । उनका मानना है कि आज के माहौल में लोगों में आईक्यू (इंटेलीजेंस कोशेंट) और ईक्यू (इमोशनल कोशेंट) के बीच बैलेंस की कमी है जिसे दूर किया जाना आज की बड़ी आवश्यकता है। इसलिए वे गांधी जयंती  से एक दिन पहले 1 अक्टूबर को IITTM में 1008 गीता वितरित करेंगे।

मप्र पुलिस के वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी और ग्वालियर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक यानि आईजी राजा बाबू सिंह अब गीता के ज्ञान के सन्देश को युवा पीढ़ी को बांटेंगे उनका मानना है कि हम अपनी युवा पीढ़ी की बात करें तो हो सकता है कि कोई ब्राइट स्टूडेंट हो, मगर वह अपने इमोशंस को नहीं संभाल पाता हो। इससे उसमें इंटीग्रिटी ऑफ पर्सनालिटी नहीं होगी और वह खुद को बिखराव की स्थिति में पाएगा। हमारी आने वाली पीढ़ी को आईक्यू ( इंटेलिजेंस कोशेंट) के साथ ईक्यू ( इमोशनल कोशेंट) को भी मैनेज करना सीखना होगा। इसलिए गीता को पढ़ना जरुरी है।  आईजी का मानना है श्रीमद भगवत गीता जीवन में संतुलन हासिल करने का सर्वश्रेष्ठ रास्ता है। इसलिए युवाओं को गीता के शाश्वत ज्ञान से परिचय  कराने के लिए वे गांधी जयंती से एक दिन पहले 1 अक्टूबर को अटल बिहारी वाजपेयी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट  IITTM में स्टूडेंट्स को 1008 गीता वितरित करेंगे। आईजी राजा बाबू सिंह मानते हैं  कि देश और दुनिया में  वे दो बड़ी समस्याएं देख रहे हैं। जिसमें पहली सबसे प्रमुख समस्या है असहिष्णुता,  आज स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग एक-दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। जातिवाद, कट्टरता और मॉब लिंचिंग अहिष्णुता का ही परिणाम है। इसलिए हमें सामूहिक विकास करना है तो सहिष्णु बनना पड़ेगा। इसके लिए श्रीमद भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने शाश्वत संदेश दिया है। इसे आज के युवाओं को बताने की जरूरत है जिससे वे कंधे से कंधा मिलाकर चलना सीखें, न कि दूसरों के कंधों पर पैर रखकर आगे बढ़ें। और हमारे सामने दूसरा बड़ा चैलेंज है पर्यावरण का। गांधीजी चाहते थे कि हमारा समाज ऐसा हो जिसमें किसी तरह का प्रदूषण न फैलाया जाए और हम उनकी इस बात को भूलते जा रहे हैं। गीता का संदेश और गांधीजी के आदर्श हमारी विरासत हैं और ये हमें अपनी आगामी पीढ़ी को सौपना है।

अपने समय के कड़क अफसर और डकैतों सहित कई बदमाशों को सबक सिखाने वाले पुलिस अधिकारी की आध्यात्म में रुचि अक्सर आश्चर्य और कौतुहल। जगाती है। इस सवाल पर आईजी राजाबाबू सिंह बताते हैं कि वे 6 साल तक दिल्ली में आईटीबीपी में पदस्थ रहे। तब कई बार वृंदावन गए।  और यही उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ रहा। यहां से आध्यात्म से  उन्हें लगाव हो गया। योगेश्वर भगवान् कृष्ण की लीला और उनका जीवन जीने की सही दिशा दिखाते हैं और जीवन के किसी पड़ाव पर हर किसी को इस ओर आना ही पड़ता है। उनका मानना है कि आध्यात्म से बेहतर जीवन में कुछ भी नहीं है। हमारी भावी पीढ़ी का भी इससे थोड़ा जुड़ाव होना चाहिए। आईजी राजा बाबू सिंह का कहना है कि अब कई संस्थानों से भगवद गीता के प्रचार प्रसार के लिए निमंत्रण आने लगे हैं और उन्होंने अपनी दिनचर्या को भी इसके साथ शुरु करना और देर शाम तक जारी रखने का नियम बना लिया है.

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