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आंध्र प्रदेश में बनाई जाएंगी तीन राजधानियां, होगा चहुंमुखी विकास

अभी तक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों की राजधानी हैदराबाद थी

नई दिल्ली. आंध्र प्रदेश में अब तीन अलग-अलग राजधानियां बनाई जाएंगी। इसके लिए बीते दिनों ऐलान किया गया है। इन तीन राजधानियों में एक उत्तरी तटीय आंध्र, दूसरी मध्य आंध्र और तीसरी राजधानी रायलसीमा आंध्र में होगी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने मंगलवार को विधानसभा में इसका ऐलान करते हुए कहा कि विशाखपत्तनम एग्जीक्यूटिव कैपिटल, कर्नूल को ज्यूडिशियल कैपिटल और अमरावती को लेजिस्लेटिव कैपिटल बनाया जाएगा। गौरतलब है कि अभी तक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों की राजधानी हैदराबाद थी।

आंध्र प्रदेश विधानसभा में अपनी बात को रखते हुए मुख्यंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि उनकी सरकार तीन राजधानी एक विधायी राजाधानी, एक कार्यकारी राजधानी और एक न्यायिक राजधानी बनाने पर विचार कर रही है। रेड्डी ने कहा कि विशाखापट्टनम के पास जो बुनियादी ढांचा है, वहां बिना ज्यादा खर्च किए कार्यकारी राजधानी के रूप में विकसित कर सकते हैं। मौजूदा समय में अमरावती को विधायी राजधानी के रूप में डेवलप किया जा सकता है और कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाई जा सकती है। मुख्यंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि इस तरह से हमें राज्य में एक संतुलित विकास देखने को मिल सकता है।

मुख्यंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि इसके लिए जानकारी हासिल करने के लिए एक प्रतिष्ठित कंसल्टेंसी फर्म काम करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए कंसल्टेंसी फर्म की रिपोर्ट के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी क्षेत्र पर निर्णय लेने के लिए गठित सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जीएन राव की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति एक-दो दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी।

आंध्र प्रदेश भी चहुंमुखी विकास के ओर होगा अग्रसर
विधानसभा में चर्चा के दौरान मुख्यंत्री जगन मोहन रेड्डी ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में भी एक संतुलित विकास के लिए तीन राजधानी शहर ब्लूमफ़ोन्टीन, प्रिटोरिया और केपटाउन थे। इस तरह से आंध्र प्रदेश भी चहुंमुखी विकास के लिए कई राजधानियों की अवधारणा पर विचार कर सकता है। इस दौरान मुख्यमंत्री रेड्डी ने राज्य की पिछली टीडीपी सरकार को भी घेरा और कहा कि टीडीपी सरकार ने 1.09 लाख करोड़ रुपए की लागत से 53,000 एकड़ में राजधानी विकसित करने की डिजाइन लाई थी, लेकिन पूरी परियोजना ही बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से भर गई थी।

आंध्र प्रदेश के लिए तीन राजधानियां बनाने संबंधी मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की योजना में विधायी बाधा को दूर करते हुए राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण एवं सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक, 2020 और आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (निरसन) विधेयक 2020 को शुक्रवार को अपनी मंजूरी दे दी।

राज्य के कानून विभाग ने तत्काल नए अधिनियमों को प्रभावी करने के लिए गजट अधिसूचना जारी की, लेकिन सरकार को अपनी तीन राजधानियों की योजना को वास्तविकता में बदलने से पहले कानूनी बाधाओं को दूर करना होगा। यह मुद्दा अब आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित है।

उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने कहा कि संबंधित कानूनों के लागू होने के बावजूद तीन राजधानियों की योजना को अमल में लाने में कुछ और समय लगेगा। उन्होंने कहा, हम जल्दी में नहीं हैं। इन दो विधेयकों को विधानसभा द्वारा दो बार 20 जनवरी और 16 जून को पारित किया गया था और विधान परिषद ने इन्हें पारित नहीं किया था, जहां तेदेपा बहुमत में है।

नए कानून के लिए दी अपनी सहमति
उच्च पदस्थ आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 197 (1) और (2) के तहत सहमति के लिए विधेयकों को राज्यपाल के पास भेजा और व्यापक कानूनी परामर्श के बाद, उन्होंने नए कानून के लिए अपनी सहमति दी। बता दें कि जिन तीन राजधानियों की बात हो रही है, उसमें विशाखापत्तनम को कार्यपालक राजधानी अमरावती को विधायी राजधानी और कर्नूल को न्यायिक राजधानी बनाने की योजना है।

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