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आंध्र प्रदेश में गुंटूर जिले से सूखी मिर्च लेकर बांग्लादेश भेजी गई स्पेशल पार्सल ट्रेन

कोरोना काल में रेलवे ने भी किए कई तरह के प्रयोग, पहली बार विदेश भेजी स्पेशल पार्सल ट्रेन

नई दिल्ली. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते देश भर में ट्रांसर्पोटेशन की व्यवस्था पूरी तरह बंद पड़ी है। ऐसे में सामानों के एक जगह से दूसरी जगह तक नहीं पहुंच पाने के कारण एक ओर जहां किसानों और व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर आमजन को मिल रहे महंगे सामानों के कारण आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इस दौरान अन्य ट्रांसपोर्ट जहां बंद पड़े हैं वहीं रेलवे ने अलग-अलग कई तरह के प्रयोग किए हैं।

कोरोना काल में रेलवे अपने नाम कई उपलब्धियां दर्ज करा चुकी है। अपनी उपलब्धियों के ताज में एक और नगीने जोड़ते हुए रेलवे ने पहली बार स्पेशल पार्सल ट्रेन विदेश भेजने का कारनामा कर दिखाया। आंध्र प्रदेश में गुंटूर जिले के रेड्डीपेलम से सूखी मिर्च लेकर एक स्पेशल पार्सल ट्रेन को बांग्लादेश के बीनापोल भेजा गया। आंध्र प्रदेश में गुंटूर और उसके आसपास का इलाका मिर्च की खेती के लिए जाना जाता है। यहां की मिर्च अपने बेजोड़ स्वाद और ब्रांड के लिए देश-विदेश में मशहूर है।

पहले किसान और व्यापारी सड़क के रास्ते कम मात्रा में मिर्च को बांग्लादेश भेजा करते थे और इस पर प्रति टन 7000 रुपये की लागत आती थी। लॉकडाउन के दौरान वे इसे सड़क मार्ग से नहीं भेज सके, तब रेलवे के कर्मचारियों और अधिकारियों ने उनसे संपर्क साधा और रेलवे की ट्रांसपोर्ट सुविधा के बारे में बताया। लेकिन मालगाडिय़ों को चलाने के लिए भारी मात्रा में मिर्च की जरूरत थी। हर ट्रिप के लिए कम से कम 1500 टन मिर्च जरूरी थी।

रेलवे की पहल
इस समस्या को दूर करने के लिए साउथ सेंट्रल रेलवे के गुंटूर डिवीजन ने पहल की और बांग्लादेश के लिए स्पेशल पार्सल एक्सप्रेस का इंतजाम किया। इससे हर ट्रिप में 500 टन मिर्च ले जाई जा सकती थी। इससे गुंटूर के किसानों और व्यापारियों को स्पेशल पार्सल एक्सप्रेस के जरिए अपना माल विदेश भेजने में मदद मिली।

इस तरह 16 पार्सल वैन को लेकर एक स्पेशल पार्सल एक्सप्रेस को बांग्लादेश के बीनापोल भेजा गया। हर पार्सल वैन में सूखी मिर्च के 466 बोरे थे जिनका कुल वजन 19.9 टन था। इस तरह स्पेशल पार्सल ट्रेन से करीब 384 टन मिर्च बांग्लादेश भेजी गई। स्पेशल पार्सल ट्रेन से प्रति टन मिर्च भेजने का खर्च 4608 रुपये है, जो रोड ट्रांसपोर्ट की तुलना में काफी सस्ता है।

रेलवे पार्सल वैन का इंतजा
उल्लेखनीय है कि रेलवे ने कोरोना काल में पार्सल ट्रेन ट्रैफिक को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। छोटे पार्सल साइज में जरूरी सामान जैसे मेडिकल सप्लाई, मेडिकल इक्विपमेंट, फूड आदि का ट्रांसपोर्टेशन एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज है, जो उपभोग के साथ-साथ बिजनेस के लिए जरूरी है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए भारतीय रेलवे ने रेलवे पार्सल वैन बनाने का प्रबंध किया है, ताकि ई-कॉमर्स कंपनियां और दूसरे उपभोक्ताओं को त्वरित ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा दी जा सके। 22 मार्च से लेकर 11 जुलाई तक 4434 पार्सल ट्रेनें चलाई गई।

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