राजनीति

असम के कोकराझार में बोले पीएम मोदी- कुछ लोग डंडा मारने की बात करते हैं, मगर मेरे पास आपका सुरक्षा कवच

नई दिल्ली

संसद से नागरिकता कानून पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले असम दौरे पर आज कोकराझार पहुंचे। पीएम मोदी ने इस दौरान कोकराझार में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर हमला बोला। पीएम मोदी ने एक बार फिर राहुल गांधी के डंडे वाले बयान का जिक्र किया और कहा कि उनके पास डंडे से बचने के लिए मां-बहनों का आशीर्वाद है। साथ ही पीएम मोदी ने बोडो समझौते के लिए वहां के लोगों को धन्यवाद दिया। बता दें कि पीएम मोदी हाल ही में हुए बोडो समझौते को लेकर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए असम के कोकराझार का दौरा कर रहे हैं। इस जनसभा का आयोजन बोडो समझौता के उपलक्ष्य में किया गया है। बीटीएडी (बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्स) जिलों- कोकराझार, बक्सा, उदलगुड़ी और चिरांग और पूरे असम के चार लाख से अधिक लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इसमें राज्य के जातीय समूहों का सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शामिल है।

 

– पीएम मोदी ने कहा कि अब सरकार का प्रयास है कि असम अकॉर्ड की धारा-6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि इस मामले से जुड़ी कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार और त्वरित गति से कार्रवाई करेगी। अकॉर्ड के तहत BTAD में आने वाले क्षेत्र की सीमा तय करने के लिए कमीशन भी बनाया जाएगा। इस क्षेत्र को 1500 करोड़ रुपये का स्पेशल डेवलपमेंट पैकेज मिलेगा, जिसका बहुत बड़ा लाभ कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ि जैसे जिलों को मिलेगा। 

 

– कोकराझार में पीएम मोदी ने कहा कि गांधी जी कहते थे कि अहिंसा के मार्ग पर चलकर हमें जो भी प्राप्त होता है वो सभी को स्वीकार होता है। अब असम में अनेक साथियों ने शांति और अहिंसा का मार्ग स्वीकार करने के साथ ही, लोकतंत्र और भारत के संविधान को स्वीकार किया है। 

 

-पीएम मोदी ने कहा कि अब केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस ऐतिहासिक अकॉर्ड पर सहमति जताई है, जिस पर साइन किया है, उसके बाद अब कोई मांग नहीं बची है और अब विकास ही पहली और आखिरी प्राथमिकता है।

 

– पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत, एक नए सवेरे का, नई प्रेरणा का स्वागत करने का है। मैं न्यू इंडिया के नए संकल्पों में आप सभी का, शांतिप्रिय असम का, शांति और विकास प्रिय नॉर्थ ईस्ट का स्वागत करता हूं। 

 

-पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन इस समझौते में बहुत सकारात्मक भूमिका निभाने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनिनय, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड से जुड़े सभी युवा साथियों, बीटीसी के चीफ हगरामा माहीलारे और असम सरकार की प्रतिबद्धता को अभिनंदन करने का है। 

 

– असम के कोकराझार में पीएम मोदी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कभी-कभी लोग मोदी को डंडा मारने की बाते कहते हैं। लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो उस पर कितने ही डंडे गिर जाएं उसको कुछ नहीं होता। 

 

असम के कोकराझार में बोले पीएम मोदी- कुछ लोग डंडा मारने की बात करते हैं, मगर मेरे पास आपका सुरक्षा कवच

 

असम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोकराझार पहुंच चुके हैं, जहां वह कुछ देर में रैली को संबोधित करेंगे।

 

असम: कोकराझार में पीएम मोदी की सभा से पहले भीड़ जुटने लगी है।

 

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के इस ट्वीट को शेयर करते हुए पीएम मोदी ने लिखा- 'थैंक्यू कोकराझार! मैं कल के कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार है।' 

 

– बोडो शांति समझौते और पीएम मोदी के स्वागत में असम के कोकराझार जिले में लोगों ने करीब 70 हजार दीयों को जलाकर अपनी खुशियों का इजहार किया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसकी कुछ तस्वीरें अपने ट्विटर पर शेयर की हैं, जिसमें दिख रहा है कि पीएम मोदी के दौरे से पहले कोकराझार दीयों की जगमगाहट से खिल रहा है। 

 

27 जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बोडो समझौता पर हस्ताक्षर किया गया था। समझौते के अनुसार, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के विभिन्न गुटों के लगभग 1615 कैडरों ने अपने हथियार डाल दिए और समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिनों के भीतर मुख्यधारा में शामिल हो गए। इस समझौते के तहत क्षेत्र के विकास के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज रखा गया है।

 

यह है समझौता

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समझौता असम के बोडो आदिवासियों को कुछ राजनीतिक अधिकार और कुछ आर्थिक पैकेज मुहैया कराएगा। असम की क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रखी जाएगी तथा एनडीएफबी की अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की प्रमुख मांग नहीं मांगी गई है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि समझौता राज्य के विभाजन के बिना संविधान की रूपरेखा के अंदर किया गया है। गृहमंत्री समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने को लेकर बहुत उत्सुक थे ताकि असम में बोडो उग्रवाद समाप्त किया जा सके।

 

क्या है बोडो विवाद

बोडो असम का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है जो राज्य की कुल जनसंख्या का 5 से 6 प्रतिशत है। लंबे समय तक असम के बड़े हिस्से पर बोडो आदिवासियों का नियंत्रण रहा है। असम के चार जिलों कोकराझार, बाक्सा, उदालगुरी और चिरांग को मिलाकर बोडो टेरिटोरिअल एरिया डिस्ट्रिक्ट का गठन किया गया है। बोडो लोगों ने वर्ष 1966-67 में राजनीतिक समूह प्लेन्स ट्राइबल काउंसिल ऑफ असम के बैनर तले अलग राज्य बोडोलैंड बनाए जाने की मांग की। यह विरोध इतना बढ़ गया कि केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत एनडीएफबी को गैर कानूनी घोषित कर दिया।

 

साल 1987 में ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन ने एक बार फिर से बोडोलैंड बनाए जाने की मांग की। यूनियन के नेता उपेंद्र नाथ ब्रह्मा ने उस समय असम को 50-50 में बांटने की मांग की। दरअसल, यह विवाद असम आंदोलन (1979-85) का परिणाम था जो असम समझौते के बाद शुरू हुआ। असम समझौते में असम के लोगों के हितों के संरक्षण की बात कही गई थी। दिसंबर 2014 में अलगाववादियों ने कोकराझार और सोनितपुर में 30 लोगों की हत्या कर दी। इससे पहले वर्ष 2012 में बोडो-मुस्लिम दंगों में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और 5 लाख लोग विस्थापित हो गए थे।

 

क्यों महत्वपूर्ण है 2020 बोडो समझौता?

समझौते के तहत उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1615 कैडर को 30 जनवरी को आत्मसमर्पण कर अपने हथियार सौंपने थे । इस दौरान कई उग्रवादी संगठन देश की मुख्याधारा में शामिल हो गए। उनके कैडर का पुनर्वास किया जाएगा। इसके तहत बोडो क्षेत्रों के विकास के लिए तीन वर्षों में 1500 करोड़ रुपये का विकास पैकेज मिलेगा, जिससे विशिष्ट परियोजनाओं का आने वाले समय में क्रियान्वयन होगा। इस समझौते से बोडो टेरिटोरियल काउंसिल के क्षेत्र और शक्तियों का विस्तार होगा।

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