मां नर्मदा को बचाने के लिए सात सूत्रीय मांगों को लेकर समर्थ सद्गुरु भैया जी सरकार द्वारा 82 दिनों का नर्मदा जल सत्याग्रह किया जा रहा है
भोपाल. मध्यप्रदेश की जीवनरेखा मां नर्मदा को बचाने के लिए सात सूत्रीय मांगों को लेकर समर्थ सद्गुरु भैया जी सरकार द्वारा 82 दिनों का नर्मदा जल सत्याग्रह किया जा रहा है। इससे पहले भी भैया जी सरकार द्वारा शासन-प्रशासन की अनदेखी और अवैध उत्खनन के विरोध में सत्याग्रह किया जा चुका है।
भैयाजी सरकार ने कहा है कि देश-प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने वाली प्रत्यक्ष शक्ति मां नर्मदा हैं। इसलिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अभियान को सफल बनाने के लिए मां नर्मदा को हर प्रकार से संरक्षण दिया जाना अतिआवश्यक है।
उन्होंने नर्मदा किनारे हो रहे अतिक्रमण और उत्खनन पर चिंता जताते हुए कहा कि हमने आज नर्मदा जी को नहीं बचाया तो 7-8 साल में ही भयावह स्थिति निर्मित हो जाएगी।
मां नर्मदा गौ सत्याग्रह जनआंदोलन समिति मध्यप्रदेश समेत कई सामाजिक संगठनों ने भैया जी सरकार के सत्याग्रह को समर्थन प्रदान करते हुए सात सूत्रीय मांगों के निराकरण की गुहार लगाई है। इनका कहना है कि मां नर्मदा तट एचएफएल से 300 मीटर तक के हरित क्षेत्र को उच्च न्यायालय के आदेशानुसार सीमांकन कर प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर तत्काल संरक्षित किया जाए।
मां नर्मदा को जीवंत इकाई का दर्जा देकर ठोस नीति और कानून बनाया जाए। दबंग, भूखनन माफिया, पंूजीपतियों द्वारा लगातार हो रहे हरित क्षेत्र में अवैध निर्माण, अतिक्रमण भंडारण, खनन तत्काल प्रतिबंधित कर अवैध साधन-संसाधन भंडारण सामग्री को तत्काल राजसात किया जाए। अमरकंटक तीर्थ क्षेत्र में हो रहे निर्माण, अतिक्रमण खनन पूरी तरह से बंद किए जाएं।
मां नर्मदा के जल में मिल रहे गंदे नालों, विषैले रसायनों को बंद करने और अपशिष्ट द्रव्य पदार्थों के प्रबंधन के लिए प्रभावी ठोस कार्ययोजना लागू की जाए। बेसहारा गौवंश के लिए आरक्षित नगरीय निकायों की गोचर भूमि को संरक्षित किया जाए तथा अवैध अतिक्रमण को हटाया जाए। मां नर्मदा पथ के तटवर्ती गांव, नगरों को जैव विविधता क्षेत्र घोषित कर समग्र गौ नीति-गौ अभ्यारण सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने कहा कि न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना किया जाना उचित नहीं है।