अपने बच्चे को खुद ही कमजोर कर रहे हैं ऐसे पैरंट्स

अपने बच्चे को खुद ही कमजोर कर रहे हैं ऐसे पैरंट्सबच्चों की जिद होती ही ऐसी है कि अच्छे-अच्छे सूरमा घुटने टेक दें इनके आगे। फिर पैरंट्स का तो पूरा का पूरा इमोशनल कनेक्शन होता है, अपने बच्चों के साथ। ऐसे में वे तो बच्चों की जिद के आगे पूरी तरह नतमस्तक होने को इमोशनली मजबूर रहते हैं। लेकिन ऐसा करना बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत के साथ अन्याय करने जैसा है…
इस जिद के आगे नहीं झुकना है
 
खाने को लेकर बच्चों के बहुत सारे नखरे होते हैं। आमतौर पर अधिकतर बच्चों को सब्जियां और दाल खाना पसंद ही नहीं होता है… गलती उनकी नहीं है, हमने खुद ही अपने बच्चों को फास्ट फूड जनरेशन बना दिया है। और अब यही सोचकर खुश हो जाते हैं कि चलो बच्चे ने कुछ तो खा लिया, भूखा तो नहीं है!

सेहत से समझौता
 
लेकिन बच्चों को फास्ट फूड और पैक्ड फूड देकर हम उनके जीवन की नींव कमजोर कर रहे हैं। दरअसल, बचपन ही तो वह उम्र होती है जब शरीर का विकास हो रहा होता है। अब अगर बढ़ते बच्चों को पूरा पोषण नहीं मिलेगा तो वे भविष्य में एक स्वस्थ इंसान कैसे बनेंगे?

आज के नाश्ते से शुरुआत
 
बच्चों की बेहतरी के लिए अगर कुछ सख्ती दिखानी पड़े तो पैरंट्स को इससे परहेज नहीं करना चाहिए। तो आज के नाश्ते से ही शुरुआत करते हैं। आमतौर पर बच्चों को नाश्ते में ब्रेड जैम, रोटी जैम या पराठा जैम खाना पसंद होता है। अगर जैम छोड़कर कुछ खाएंगे तो क्रीम बिस्किट्स के साथ दूध। नाश्ते के मेन्यू से इन्हें आज ही हटा दें।

नाश्ते में इन्हें शामिल करें
 
एक दम से बच्चों को किसी भी चीज की आदत डालना बहुत टेढ़ी खीर होता है। लेकिन उनकी बेहतरी के लिए हमें पैरंट्स के रोल के साथ ही स्ट्रिक्ट टीचर का रोल भी निभाना होगा। आज से ही उन्हें नाश्ते में दलिया, पोहा, ओट्स, चिल्ला, मिलेट्स आदि खिलाने की शुरुआत करें। फिर इसे हमेशा-हमेशा के लिए जारी रखें।

क्या दिक्कत है ब्रेड जैम और बिस्किट्स में?
 
यह सच है कि ज्यादातर जैम बनाने में फ्रूट्स का उपयोग होता है। लेकिन जिस प्रॉसेस के तहत फ्रूट्स को जैम में कंवर्ट किया जाता है, इन फलों के लगभग सारे पोषक तत्व नष्ट हो चुके होते हैं। ब्रेड आमतौर पर मैदा की होती है। बिस्किट्स में मैदा, गैर जरूरी शुगर से भरी हुई क्रीम होती है। इन सभी में न्यूट्रिशन का अभाव होता है।

फ्रूट जैम हो सकता है हानिकारक
 
जो फ्रूट जैम आप अपने बच्चों को हेल्दी समझकर खिला रहे हैं, वो उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है! क्योंकि फ्रूट जैम बनाने के दौरान फलों को तेज आंच पर या लंबे समय तक गर्म पानी में उबाला जाता है। ताकि इन्हें मैश करके पेस्ट बनाया जा सके। इस प्रॉसेस के दौरान फलों का गुणकारी रस और पोषक तत्व निकल जाते हैं। वहीं, विटमिन-सी युक्त फलों को उबालने पर ये हार्मफुल टॉक्सिन की तरह रिऐक्ट कर सकते हैं।

बच्चों में बढ़ता है मोटापा
 
जैम में शुगर कंटेट बहुत अधिक होता है। उदाहरण के लिए आप एक चम्मच जैम को दो चम्मच शुगर के बराबर समझ सकते हैं। अब आप ही सोचिए कि अगर आप अपने बच्चे को दोनों-तीनों टाइम शुगर के साथ चपाती या ब्रेड खिलाएंगे तो वे आखिर सेहतमंद बन ही कैसे सकते हैं? जबकि इस कारण बच्चे में मोटापा और बढ़ने लगता है।

जैम से दुश्मनी नहीं
 
ऐसा नहीं है कि आपके बच्चे को जैम खाना पसंद है तो अब आप घर में जैम लाना ही बंद कर दें। लेकिन हां, बच्चे की डायट में इसकी मात्रा सीमित जरूर कर दें। क्योंकि एक ताजे फल की तुलना अगर दो चम्मच जैम से की जाए तो जैम के पोषक तत्व एक फल के पोषक तत्वों के सामने नगण्य हैं। इसलिए बच्चे की डायट में फ्रूट्स शामिल करें।

>

About the author

info@jansamparklife.in

Leave a Comment