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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के लिए विकास दर अनुमान में की कटौती

वॉशिंगटन
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के सरकार के फैसले को सही बताते हुए कहा है कि इसका निवेश पर सकारात्मक असर पड़ेगा। हालांकि, इसने यह भी कहा कि भारत को वित्तीय एकीकरण की दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए और लॉन्ग टर्म में वित्तीय स्थिति में स्थिरता हासिल करे। दूसरी तरफ हाल ही में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का लाभ नहीं होगा।

एक न्यूज कॉन्फ्रेंस के दौरान IMF के डायरेक्टर (एशिया ऐंड पसिफिक डिपार्टमेंट) चांगयोंग र्ही ने कहा, 'हम मानते हैं कि भारत के पास अभी फिस्कल स्पेस सीमित है, इसलिए उन्हें सावधान रहना है। हम उनके कॉर्पोरेट टैक्स में कमी के फैसले का समर्थन करते हैं, क्योंकि इसका निवेश पर सकारात्मक असर होगा।'

कॉर्पोरेट टैक्स में कितनी कटौती
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 5 पर्सेंट तक गिरने के बाद सरकार ने ग्रोथ और निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का फैसला लिया है। घरेलू कंपनियों पर बिना किसी छूट के इनकम टैक्स 22 प्रतिशत होगा और सरचार्ज और सेस जोड़कर प्रभावी दर 25.17 फीसदी हो जाएगी। पहले यह दर 30 प्रतिशत थी।

नॉन बैंकिंग सेक्टर के मुद्दों का हो समाधान
IMF के डायरेक्टर ने कहा कि पिछली दो तिमाहियों में सुस्ती दर्ज करने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चालू वित्त वर्ष में अनुमानित ग्रोथ रेट 6.1 फीसदी है। 2020 में गति बढ़कर 7 पर्सेंट हो सकती है। IMF के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'मौद्रिक नीति प्रोत्साहन और कॉर्पोरेट इनकम टैक्स में कटौती से निवेश को फिर बढ़ावा मिल सकता है।' एशिया ऐंड पसिफिक डिपार्टमेंट की डिप्टी डायरेक्टर एन्ने-मैरी गुल्डे-वॉफ ने कहा कि भारत को नॉन बैंकिंग फाइनैंस सेक्टर के मुद्दों का समाधान करना चाहिए।

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